15 जनवरी, 2020

अंधा बांटे ???





पांच बरस तक  सभी कार्य रहे  ठन्डे  बसते में |किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी |जिसने भी आवाज उठाई उसे ही दवा दिया गया |पर चुनाव आते ही तरह तरह की घोषनाएं की जाने लगीं |वे सब होती लोक लुभाबनी |सब सोचते अब तो हमारा हर कार्य पूर्ण होगा  हमारी सरकार होगी |हमारी समस्याएँ दूर करेगी|
अब तो बिजली का बिल भी नहीं आएगा |किसानों को भी मुआवजा मिलेगा |झूठे सपनों में जीते लोग अपनों को बोट देने का मन बनाने लगे |पर जब नई सरकार का गठन हुआ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |
चन्द लोग ही बंदरबाट का आनंद उठा पाए |जिस लाभ की बात होती उन तक ही पहुँच कर
रुक जाता |मानो अंधा बांटे रेबडी फिर फिर अपनों को देने की बात की सच्चाई पर मोहर लग रही हो |
आशा




11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16.01.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3582 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की गरिमा बढ़ाएगी ।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद सर टिप्पणी के लिए|

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  3. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  4. सुप्रभात
    सूचना हेतु आभार स्वेता जी |

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  5. उत्तर
    1. सुप्रभात

      धन्यवाद शुभा जी टिप्पणी के लिए |

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  6. धन्यवाद प्रकाश जी टिप्पणी के लिए |

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