21 जनवरी, 2020

हाथ में माचिस की तीली


 

  हाथ में माचिस की तीली लिए 
 बच्चा खेल रहा आँगन में
अरे यह किसने दी है
इसके हाथ में  |
 आग लगा देती है 
छोटी सी चिगारी 
हाथ में माचिस की तीली  हो 
और यदि उसे जलाएं
छोटी सी लौ  निकलती है उससे
कुछ क्षण भी नहीं लगते
 सब ख़ाक होने में |
ऐसे ही मन की उथलपुथल
 स्थिर नहीं रख पाती है
भावनाओं का उतार चढ़ाव
 सर चढ़ कर बोलता है|
तभी  भावनात्मक चिंगारी
 आग लगाती है
लोगों की भीड़ बदल जाती
 भीड़ तंत्र में|
जब जीवन में अलगाव की
अधिकता होती  है
सब कुछ जलकर
 भस्म हो जाता है
 एक ही झटके में |

आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-01-2020) को   "देश मेरा जान मेरी"   (चर्चा अंक - 3588)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. सुप्रभात मेरी रचना शामिल करने की सूचना हेतु आभार सर |

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  3. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद नूपुरम जी |

      हटाएं
  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! उत्तम सृजन !
    !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २७ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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