28 जनवरी, 2020

कर्तव्य निष्ठ


                                   बहुत कुछ हो गया है संपन्न
पर अंत नहीं हुआ  है
जब तक कार्य रहेगा शेष
मेरा अवधान न भटकेगा
अंतिम सांस तक अडिग रहूँगा
हूँ कर्तव्यपरायण निष्ठावान  
ना तो  मार्ग से भटकूँगा
 ना ही  कदम पीछे लूंगा
मैंने पैरों को जमा लिया है
मन ने सोच लिया है
पहली  पंक्ति में आने का
उस पर ही अडिग  रह कर
अपना मार्ग प्रशस्त करूगा
राह को खोज लिया है
मार्ग से विचलित न  हो कर
गंतव्य तक  पहुँच कर
आखरी  सांस लूंगा
हूँ अंत से दूर अभी नहीं मरूंगा

आशा













11 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक सृजन ! बहुत सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    सूचना हेतु आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 03 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार सकारात्मक लेखन।

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

    जवाब देंहटाएं
  6. सकारात्मक प्रेरित करती प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. सुप्रभात
    टिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: