01 जून, 2020

मनमुटाव आपस का

रात भर करवटें बदलीं
तुम्हारे इंतज़ार में
मगर  तुम न आए
क्यूँ झूटे वादे किये उससे ?
क्यूँ  यूँ ही बहकाया उसे |
तुमने यह तक न सोचा
कि क्या गुजरेगी उस पर
वह तो दिन रात परेशान हाल रहती
 खोई रहती तुम्हारी यादों में |
इंतज़ार और कितना कराओगे उसे  
उसकी जगह यदि तुम होते
क्या हाल होता तुम्हारा
यह भी सोच कर देखना |
जब दफ्तर से आने में देर हो जाती थी  तुम्हें
 वह एकटक द्वार पर निगाहें टिकाए रहती थी
किसी काम में भी मन न लगता था
अधिक देर होने पर शिकायतों का
अम्बार लगा देती थी |
तुम भी क्षमा याचना करते नहीं थकते थे
अब बात तो दूर हुई
एक दूसरे को देख ना भी नहीं चाहते
अब इतना बदलाव किस लिए ?
कोई  कारण तो रहा  होगा |
जब तक आपस में बातचीत न करोगे
कोई मसला हल न होगा
किसी को तो पहल करनी होगी
मसला हल कैसे होगा |
आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (02-06-2020) को
    "हमारे देश में मजदूर की, किस्मत हुई खोटी" (चर्चा अंक-3720)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के इए आभार सहित धन्यवाद सर |

      हटाएं

Your reply here: