मेरी कलम की स्याही
सूख गई है
क्या यह कोई अजूबा है
?
नहीं यह एक तजुर्बा
है
जब मन ना हो कुछ
लिखने का
अपने विचार व्यक्त
करने का
तब कोई तो बहाना
चाहिये
मन में आए इस विराम
को
किसी का तो उलाहना चाहिए
कलम के रुक जाने से
विचारों के पैमाने से
स्याही छलक नहीं पाती
अभिव्यक्ति हो नहीं
पाती
जब कुछ विश्राम मिल
जाता है
फिर से ख्यालों का
भूचाल आता है
कलम को स्याही में
डुबोने का
जैसे ही ख्याल आता है
विचारों का सैलाब
उमड़ता है
गति अविराम हो जाती
है
कलम में गति आ जाती
है
सारे दरवाजे खोल जाती
है
कलम जिसके हाथ में
होती है
वैसी ही हो जाती है
साहित्यकार रचना
लिखता है
न्यायाधीश फैसला
साहित्यकार सराहा
जाता है
कलम का महत्व जानता
है
पर एक कलम ऐसी भी है
फाँसी की सजा देने के
बाद
जिसकी निब तोड़ दी
जाती है
अनगिनत विचार मन में
आते हैं
फिर से लिखने को
प्रेरित करते हैं !
आशा
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया" (चर्चा अंक-3721) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतुआभार सहित धन्यवाद |
वाह! बढ़िया...
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 3 जून 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार सहित धन्यवाद पम्मी जी |
ना ना ! इस कलम की स्याही सूूखनी नहीं चाहिए ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना नेक सलाह के लिए |टिप्पणी अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-06-2020) को "शब्द-सृजन 24- मसी / क़लम " (चर्चा अंक-3725) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'