विश्व पूरा बटा है अनगिनत देशों में
सरहदों ने अलग किया है एक दूसरे से सब को|
अधिकाँश देशों में है तनातनी कहीं नहीं है शान्ति
बैठे है सब दहकते अंगारों पर |
अवधारणा वसुधैव कुटुम्बकम की रह गई पुस्तकों में सिमट कर
पड़ोसी देश भी भूले सद्भाव भाईचारा आनंद आपस में मिलजुल कर रहने
का |
सरहदों ने बांटी धरती जल और आकाश हर देश के लिए सरहद की रेखा
खिची है
भूल गए हैं कोई
नहीं ले जाता एक इंच भी जमीन खुद के साथ
यूं तो कहा जाता है अच्छे सम्बन्ध होने पर पड़ोसी ही सबसे पहले काम आते
हैं|
हर समय होते हैं मददगार पर अब ऐसा प्रतीत नहीं
होता अब
छोटे से जमीन के टुकड़ों के
लिए आपसी सम्बन्ध भूल कर
मरने मारने को तत्पर रहते सदा पड़ोसी देश |
कितना खून खराबा होता है सरहद पर
सीमा सुरक्षा में दिन रात जुटे रहते शूरवीर अनेक
अपनी सरहद को महफूज रखने के लिए
कठिन परिस्थितियों में भी
रहरे तत्पर|
देश को परतंत्र होने से बचाने के लिए
अपनी जान तक को दाव पर लगा देते हैं
उनका है एक ही लक्ष्य देश हित है सर्वोपरी
बहुत गर्व होता है देश को उन शूरवीरों पर |
हैं धन्य वे वीर जिन ने चुना कार्य देश की रक्षा का
हैं धन्य वे वीर जिन ने चुना कार्य देश की रक्षा का
धन्य हैं वे माताएं जिन्होंने जन्मा ऐसे सपूतों को |
आशा
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-07-2020) को "चिट्टाकारी दिवस बनाम ब्लॉगिंग-डे" (चर्चा अंक-3749) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुप्रभात
हटाएंआभार सर आपका मेरी रचना के लिए सोचना हेतु |
आ0 आज आपसे परिचय हुआ और आपसे बहुत प्रेरणा मिली ,हार्दिक आभार आ0
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी हेतु |
वीर सैनिकों को शत शत नमन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी |
हटाएंजय जवान जय किसान
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना
आप की साहित्यिक यात्रा बहुत ही अदभुत हे
आप को नमन
धन्यवाद हिन्दीगुरू जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसत्य है ! अब अधिकाँश देश नहीं रखते सद्भावना अपने पड़ोसी राष्ट्रों के प्रति ! सब घुसपैठ कर अपनी सीमा रेखा का विस्तार करना चाहते हैं ! इंसानियत खोती जा रही है ! रोज़ सीमा पर वीर सैनिक शहीद होते हैं देश की रक्षा करते करते ! दर्द भरी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक और भावपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त किया है आपने अपनी रचना मे। सुंदर प्रस्तुति
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