02 जुलाई, 2020

चौमासा


  घिर आई काली कजरारी बदरिया  
आपस में टकराए बादल
चमकी चमचम  बिजुरिया
 मौसम हुआ तरवतर चौमासे में 
धरती ने ओढी चूनर धानी  नवयौवना सी
दादुर कोयल मोर पपीहा बोले बगिया में 
मयूर  ने की अगुवाई चौमासे की 
अपने पैरों की थिरकन से |
मयूर ने पंख पसारे झूम झूम घूम कर
 नृत्य किया बागों  में 
कंठ से मधुर  स्वर निकाले
आकर्षक नयनाभिराम नृत्य प्रदर्शन में | 
 आकृष्ट किया अपनी प्रिया को 
 रंगबिरंगे फैले पंखों से
 नयनों से  की अश्रु वर्षा भी 
 उसका सान्निध्य को पाने को |
  छोटी बड़ी  बूदें जल की मोह रही मन को
मन होता नहाए तेज बारिश के पानी में 
दिल से करें  स्वागत चौमासे का |
बहनों ने सोलह श्रृंगार किये हैं 
 भरी भरी मेंहदी सजाई है पैरों और  हाथों में
पहनी है सतरंगी चूनर हाथ भर भर हरी चूड़ियाँ
जल्दी बड़ी है उन्हें अपने पीहर जाने की|
चौमासे के त्यौहार सारे  मन में गहरे ऐसे पैठे 
एक भी छोड़ना नहीं भाता मन को 
 बाट जोहती बैठी हैं वे अपने भैया  के आने की
चौमासे के त्योंहार सखियों के साथ  मनाने की | 
ईश्वर भी आराम  चाहता है चौमासे में 
बहुत थक गया  है दुनिया को चलाने में 
कुछ काल उसे भी चाहिए प्रबंधन विश्व का करने को
चौमासे के  आगे की रणनीति तय करने को |

                             आशा

16 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह ! पूरा शब्द चित्र खींच दिया चौमासे का आपने अपनी रचना में ! हमारा मन मयूर भी थिरक उठा ! बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति !

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  2. सुप्रभात
    सूचना हेतु आभार मीना जी |

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  3. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  4. बरखा बहार आई
    चौमासे का सुन्दर चित्रण

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  5. बहुत सुंदर बरखा गीत ,सादर नमन आशा दी

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. बहुत खूब आशा जी। ईश्वर आराम भी करता है, वो भी सुंदर सजी धरा के अभिराम झूले पर। अत्यंत सुंदर रचना ,जो सावन को शब्दों में साकार करती है। सादर शुभकामनायें🙏🙏🌹🌹🙏🙏

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