04 जुलाई, 2020

कुछ लम्हे तो चाहिए





कुछ लम्हें तो  चाहिए
 तुम्हारे  दीदार के लिए
तुम्हें जानने  के लिए
वह भी ऐसे कि उनमें
किसी का दखल न हो |
मुझे पसंद नहीं है
 किसी की दखलंदाजी
तुम्हारे मेरे  बीच आकर   
गलतफैमी बढाने की
 बातों को तूल देने की | 
होगी जब आवश्यकता  
  कानों के कच्चे नहीं
 हम खुद ही सक्षम हैं
आपस में उलझा हुआ पेच सुलझाने में |  
मुझे चाहिए समय
 खुद सोचने दो  
दूसरों की बैसाखी ले कर 
 कब तक चलूंगी |
 दूसरों की सलाह
 होगी कितनी कारगर ?
है विश्वास मुझे खुद पर
 कभी गलत नहीं सोचूंगी |
किसी की गलत सलाह 
पर कान न धरूंगी 
 सही निर्णय को
 सिर माथे रखूंगी |
आशा है सभी समस्याएं
अपने आप समाप्त होंगी
मेरे तुम्हारे तालमेल पर  
लोग मन में ईर्ष्या करेंगे |
आशा   

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. टिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |

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  3. क्या बात है ! यही विश्वास और सकारात्मकता का भाव होना चाहिए ! समस्याएँ स्वयं भाग खड़ी होती हैं ! सुन्दर रचना !

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