हर समय बाजार गर्म रहता
अफवाओं के प्रसार में
प्रत्येक व्यक्ति आनंद लेता
उनके प्रचार प्रसार में |
निंदा रस में जो आनंद आता है
उससे बंचित क्यूँ रहें ?
और कुछ नहीं तो हंसने का
अवसर तो मिल जाता है |
जब भी अवसर मिल जाए
बहुत आनंद आता है सबको निंदा रस में
चटकारे ले कर अफवाओं को
बेल की तरह परवान चढाने में |
झूटी सच्ची बातों को बढ़ चढ़ कर फैलाने में
यदि यह भी हांसिल ना हो पाया
तो कोई बात नहीं कुछ समय तो
गुजरता है
लोगों को सोचने का अवसर तो मिलता है
नया शगूफा छोड़ने का |
आशा
नये विषय पर अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद शास्त्री जी |
खाली दिमाग शैतान का घर ! जब कुछ सार्थक ना हो करने के लिए तो खुराफाती लोगों को निंदा रस में ही आनंद मिलता है ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |