लंबित कई दिन का कष्ट
अब रोज का आराम
चिंता मुक्त हो गए हो
हुआ चंचल
मन शांत |
बेचैनी कहाँ खो गई
जान नहीं पाई
प्रभू से की थी प्रार्थना
ऐसे दिन किसी को न दिखाए |
हुए हो रोग मुक्त
परहेज ही करना है
समय पर सब कार्य हो
बस यही ध्यान रखना है |
ठीक समय पर चेते
यह समस्या भी हल हो गई है
प्रभु की असीम कृपा रही है |
अपने कुंद मन को शांत रखूँ
कठिन दौर से गुज़री हूँ
वह भी बीत जाएगा
अब सोच पा रही हूँ |
जीवन की सच्चाई से
पहली बार सामना हुआ है
अब सत्य से मुखातिब हूँ
प्रभु ने रक्षा की है |
आशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 15 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार यशोदा जी |
आभार यशोदा जी मेरी रचना शामिल करने के लिए |
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (16-08-2020) को "सुधर गया परिवेश" (चर्चा अंक-3795) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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ईश्वर पर भरोसा है सभी का रक्षक वही है
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंईश्वर इस विश्वास को कायम रखें ! कठिन समय हर एक के जीवन में आता है और बीत भी जाता है ! सब ऊपरवाले की मेहरबानी है !
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