15 अक्टूबर, 2020

शरारत बच्चे की

 कहाँ कहाँ खोजूं तुम्हें 

यह कैसी शरारत है 

क्या कोई काम नहीं मुझको 

केवल तुम्हें ही खोजना है |

कितनी बार समझाया है 

मुझे यूँ न सताया करो 

मेरा समय बरबाद न करो 

पर तुम सुनते ही नहीं हो |

यह कौनसा तरीका है खेलने का 

यदि भूले से पैर फिसला 

चोट लगी तो क्या होगा 

आगे पीछे की सोच को उड़ान दो |

सम्हल जाओ पढाई पर ध्यान दो 

समय हाथ से फिसल गया यदि

बापिस लौट के न आएगा 

तुम यहीं रह जाओगे

 आज की दुनिया से बहुत पीछे |

आशा




10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 15 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 16-10-2020) को "न मैं चुप हूँ न गाता हूँ" (चर्चा अंक-3856) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

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  3. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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