ना कभी पलट कर देखा ना
कभी शक को पाला
किया वही जो मन को भाया
इससे ना इनकार किया |
सही गलत का ख्याल
मन को भयभीत नहीं करता
जो सोचा सही सोचा
पर किसी का ख्याल
मन से न निकाला |
प्यार को एक तरफ रखा
वास्तविकता से परे
हर समय मन को
उलझनों से दूर रखा |
है अरमां यही मेरा
किसी से न हो कर दूर
रहूँ सबके करीब आकर
मन से ही सही
हो यह भी ठीक ही
मेरा मन हो विशाल
खुशी से हो निहाल |
आशा
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिलाषा ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं