मन के दीप जलाओ कि आया
दीपावली का त्यौहार
यूं तो दिए बहुत जलाए पर
मन के कपाट खोल न पाए |
जीवन भर प्रकाश के लिए तरसे
अब जागो मन का तम हरो
दीप की रौशनी हो इतनी कि
तम का बहिष्कार हो |
नवचेतना का हो संचार
घर में और दर से बाहर भी
सद्भावना और सदाचार का
संचार हो आज के दूषित समाज में |
|यही सन्देश देता दीपावली का त्यौहार |
दी जाती हैं बैर भाव भूल सब को
शुभ कामनाएं दिल से
यही रहा दस्तूर इस त्यौहार का
जिसे हमने भी आगे बढाया |
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार सहित धन्यवाद मीना जी |
सुप्रभात आदरणीया दी 🙏
हटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं🙏
सादर...
धन्यवाद मीना जी टिप्पणी के लिए |आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं |
हटाएंआशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 12 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना के लिए आभार दिव्या जी |
हटाएंसामयिक और सार्थक।
जवाब देंहटाएंधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
सुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |आपको सपरिवार दीपावली की शुभ कामनाएं |
नव चेतना का हो संचार..... बहुत सुंदर रचना 🙏
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🚩🙏
- डॉ शरद सिंह
drशरद जी टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंदीपोत्सव की दिव्यता से मुखरित रचना - -दीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद शांतनु जी |आपको भी सपरिवार दीपावली की शुभ कामनाएं |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना ! प्रेम और सौहार्द्र का त्यौहार है दीपावली ! हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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