४-आस,प्यास,भूख .नींद
एक राजा था| उसका एक बेटा था |इकलौता बेटा
लाड़प्यार में बिगड़ने लगा |राजा ने बहुत परेशान हो कर अपने मंत्री से सलाह
मांगी |उन्होंने कहा कि राजकुमार को घर से निकाल दीजिये |जब खुद के पैरों पर खडा होगा अपने आप
सुधर जाएगा |राजाने बेटे को निकाल दिया |
राजकुमार अकेला चलने लगा |राह में जंगल था |उसके पैर में एक काँटा चुभ
गया |जैसे ही वह काँटा निकालने के लिए झुका उसने चार महिलाओं को आपस में झगड़ते देखा |उससे रहा नहीं गया |आपस में झगड़ने का कारण
जानना चाहा |पहली महिला ने अपना नाम 'प्यास' बताया |राज कुमार ने कुछ सोचा और कहा प्यास का क्या जब प्यास लगे कहीं का भी पानी पीया जा सकता है नही मैंने आपको सलाम नहीं किया है |
फिर वह दूसरी की और मुखातिब हुआ उसने अपना नाम 'भूख 'बताया |वह सोच रहा था कहने लगा " भूख जब लगती है कुछ भी खा कर शान्ति मिल जाती है "|
अब तीसरी से नाम जानना चाहा |उसने अपना नाम 'नींद' बताया |
राज कुमार ने सोच कर कहा नींद तो चाहे जहां आ जाती है |उसको किसी आलीशान बिस्तर की आवश्यकता नहीं होती |
चौथी ने अपना नाम 'आस'बताया |राजकुमार ने झुक कर उसे सलाम किया और
कहा "आस् माता तुम्हें मेरा प्रणाम |आस पर तो सारी दुनिया निर्भर है |
वास्तव् में वे देवियाँ थीं और राज कुमार की परिक्षा लेने आई थीं |
चारों ने राजकुमार को खूब आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गईं |
आगे गया तो कुछ लोग आपस में किसी स्वयंबर की बात कर रहे थे |उसने
सोचा क्यों न वह भी वहां जाए और उस में भाग ले |वह भी उन लोगों के साथ चल दिया |आयोजन बहुत भव्य था |पर राजा ने एक शर्त रखी थी |पंडाल में बीच में एक घूमती मछली टागी गई थी |जो भी उस की आँख पर
निशाना लगाएगा उससे ही राज कुमारी की शादी होगी |
पहले ही बाण से सही निशाना लगाया और राज कुमारी से ब्याह ख़ुशी से संपन्न हुआ |राजा इस लिए खुश था कि बेटी से जुदाई नहीं सहनी पडीं |
जब पहली करवा चौथ आई राज कुमारी ने बायना निकाला पर धोवन ने उसे अस्वीकार कर दिया यह कहते हुए की जिसके कोई परिवार न हो उसका दिया वह नहीं लेती |राज कुमारी बहुत रोई और जिद्द कर बैठी किजब अपनी ससुराल नहीं जाएगी तब तक अन्न जल भी ग्रहण नहीं करेगी |राजा के पास समाचार पहुंचा
उन्होंने बेटी की बिदाई बहुत धूमधाम से की |राज कुमार अपने राज्य में पहुंचा
तब तक राजा वृद्ध हो चुका था |उसने सोचा कि किसी राजा ने चढ़ाई की है |पर जब बेटे ने रथ से उतर कर पैर छुए उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा |
राजकुमार और बहू को देख मा का आँचल दूध की धार से भर गया |
राजा राजपाठ बेटे को सोंप तीर्थाटन को चला गया |बहुत समय तक राजकुमार अपनी पत्नी सहित कुशलता से राज करता रहा |प्रजा बहुत खुशहाल रही |
आशा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5.11.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
रोचक कहानी
जवाब देंहटाएंसुन्दर कथा ! मम्मी सुनाया करती थीं ! आप सारे पात्रों की कहानियां डालिए इसी तरह !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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