हुआ अनोखा एहसास मुझे
यह कैसे हुआ क्या
हुआ
मैं जानती कैसे
अब मुझे विचार
करना होगा ।
जब आज तक न जान पाई
न जाने कब तक
इंत्जार रहेगा तुम्हारा
मैं कैसे जान पाती ।
मन का विश्वास
अभी खोया नहीं है
हैअसीम श्रद्धा प्रभू पर
यह तो याद है मुझे ।
अचानक ख्याल आया मुझे
पहले जब तुमसे मिली थी
एक बात का वादा किया था
वही रहा है नियामत मेरे लिये ।
आशा
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जनवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार |
वाह ! सुन्दर सुखद एहसास ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंलोहड़ी पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं |मेरी रचना की सूचना के लिए आभार |
बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
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