12 जनवरी, 2021

पुस्तक

 


 

 आशा कैसी किस से करूं

 कोई तो अपना हो

कब तक आश्रित रहूंगी

 यह तक मालूम नहीं |

किताब भी मौन है

कुछ बोलती नहीं

न जाने कैसे नाराज हुई

यह भी मालूम नहीं |

यह कैसा अन्याय है

मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ

अब तक समझ न पाई

पुस्तक से दूरी किस लिए |

आशा 
 


                  

1 टिप्पणी:

  1. किताबें किसीसे नाराज़ नहीं होतीं ! हम ही उनकी पहुँच से दूर हो जाते हैं ! फिर से जाइए उनके पास वो उतने ही प्यार से मिलेंगी !

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