अचानक दृष्टि उस पोटली बाले पर जा
कर टिक गई |यह वही पोटली वाला था |जिससे मैंने सुबह बात की थी |वह इतना व्यस्त था
अपनी पोटली सम्हालने में कि मुझे ताज्जुब हुआ |इतनी बड़ी पोटली कैसे उसने विमान के
अन्दर बैठने के स्थान पर रख ली थी | उसने बताया था कि वह अपना सामन विमान से ही ले
जाता आता है |
बहुत जल्दी ही हम श्री नगर विमान ताल पर पहुँच गए |अपना सामान लिया और बाहर
टेक्सी का इन्तजार कर रहे थे कि एक सज्जन ने आकर पूंछा क्या आप उज्जैन से आए हैं
?बड़ा आश्चर्य हुआ कि यहाँ हमारी जानकारी लने
वाला कौन है |गुड्डी के फेसबुक में
मित्र ने अपने एक मातहत को भेजा था हमें रिसीव करने |उसने डल झील
के सामने होटल में रूम बुक करवा लिया |खिड़की से झील का नजारा
बहुत सुन्दर दीखता था |झील में तैर रहीं मोटर बोट बहुत आकर्षित कर रहीं थीं
|शाम को घूमने का प्लान बनाया पहले दिन होटल से बाहर निकले और पैदल चल दिए झील के
किनारे किनारे |फिर लौट आए
रात्रि का भोजन होटल में ही किया |दूसरे दिन बाहर जाने का मन था |टेक्सी के
आते ही पहल गाँव की ओर जा रहे थे |जितना सुन्दर श्री नगर है वहां के गाँव बहुत ही
गंदे लगे |लोग भी मैले कुचेले कपडे पहने
अपने अपने कामों में व्यस्त थे |दोपहर में पहल गाँव में भोजन किया और घूमा |
बहुत सुंदर यात्रा संस्मरण
जवाब देंहटाएंपहली बार हवाई जहाज यात्रा का उत्साह और आनंद कुछ अलग होता है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी यात्रा प्रस्तुति
बहुत सुन्दर यात्रा प्रसंग।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसहज सरल भाषा में कश्मीर यात्रा का मनोहारी विवरण ! पहली विमान यात्रा की उमंग सभीको रोमांचित कर देती है ! विमान का टेक ऑफ़ और लैंडिंग हमेशा रोमान्चित कर देती हैं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |