दिल से दिल मिले
मन बगिया में फूल
खिले
पर एक कमी रही आज
लाल गुलाब नहीं मिले
|
सोचा लाल गुलाब ही विशेष क्यूँ ?
प्रणय दिवस के इजहार के लिए
एक ही सप्ताह किस लिए ?
क्या जिन्दगी पर्याप्त नहीं है
प्यार के इजहार के
लिए |
प्यार के लिए योवन
ही क्यों ?
बचपन बुढापे में
इससे दूरी क्यूँ ?
गुलाब का लाल रंग ही
केवल प्रेम नहीं
दर्शाता
हैं सभी रंग के
पुष्प
परिचायक प्रेम प्रीत के |
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
प्रणय दिवस के अवसर पर सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के जिए आभार सर |
गुलाब का लाल रंग ही
जवाब देंहटाएंकेवल प्रेम नहीं दर्शाता
हैं सभी रंग के पुष्प
परिचायक प्रेम प्रीत के |
बहुत सटीक, बहुत सुंदर रचना 🌹🙏🌹
सुप्रभात
हटाएंरचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद जी |
आशा जी , हृदय से भेंट है आपके लिए लाल गुलाब , अभी हम बूढ़े कहाँ हुए हैं ।सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंक्या बात है संगीता जी बहुत दिनों के बाद आज ब्लॉग पर हैं
हटाएंयह तो सत्य है मन कभी बूढा नहीं होता |
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🌷🌷🌷🌷
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शकुन्तला जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शकुन्तला जी |
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंबिलकुल सार्थक सवाल ! हर रंग अपने आप में विशेष होता है और प्रेम का परिचायक भी होता है ! लाल गुलाब नहीं तो जो फूल मिल जाए उसी के माध्यम से हृदय के उदगार व्यक्त किये जा सकते हैं ! फूल तो मात्र साधन है साध्य नहीं ! सुन्दर तचना !
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