19 फ़रवरी, 2021

कौनसा मार्ग चुनूं


 

धर्म कर्म की अति करदी

पर  हर बार कमी रह  जाती

द्वार तुम्हारे जब भी आती

वे  खुल न पाते मेरे लिए |

है यह कैसा न्याय प्रभू

सभी ने एक से यत्न किये

किसी के लिए पट खुले

हम अधर में ही रहे |

दिल से दान किया था

धर्म में भी पीछे न रहे

सच्चे मन से अरदास की

कमी कहाँ  रही  न जान सकी |

कुछ तो इशारा किया होता

अधर में लटकी  मेरी नैया

ढूंढे न मिला खिवैया

 कैसे विश्वास करू किसी पर

जब तुमने ही राह न दिखाई

 मुझ पर करुणा ना दर्शाई |

किसी ने कहा बिन गुरु मोक्ष न होय

 सोचा किसी गुरू कोही  अपना लूं

तभी मेरी  नैया पार लग पाएगी

भव सागर से मुक्ति मिले पाएगी

पर ऐसा  गुरू कहाँ खोजूं

जो सच्चे मन से शिक्षा दें

भवसागर के  प्रपंचों से दूर कर

मोक्ष का  मार्ग प्रशस्त करें |

आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात टिप्पणी के लिए धन्यवाद आलोक जी |

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  2. वह सबसे बड़ा गुरू हमारे ही हृदय में वास करता है हमारी अंतरात्मा, हमारी बुद्धि हमारा ज्ञान ! वह कभी हमें गलत राह नहीं दिखाते ! हमारा मन हमारी चेतना हमारा विवेक की हमारा उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं ! हम उनका कहा न माने तो यह हमारी ही भूल है !

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  3. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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