10 मार्च, 2021

कारण समझ न पाई

राह देखती रही तुम्हारी

पर तुम न आए

मुझसे हो क्यूँ क्रोधित

समझती हूँ मैं भी |

यदि बात नहीं करनी थी

 न सामने आते  

पुराने घावों को

उघाड़ते ही क्यों ?

केवल  एक झलक दिखाई दी

 यह  किस लिए

क्या जरूरी है

हर बात बताऊँ तुम्हें |

जैसी स्वतंत्रता तूमने  चाही

 वैसी  ही मैंने अपनाई

क्या  नहीं है  यही   नियम मेरे लिए |

समाज से डरने के लिए

मुझे ही बलि का बकरा  बनाया

सही बात पर भी

मेरा नाम मिटाया

दिल के श्याम पट से |

 कैसा विधान  अपनाया तुमने

जो   वादे किये थे मुझसे

फिर क्यों न पूरे किये तुमने |

कभी ठन्डे मन से सोचना

क्या अकेली मेरी ही खता रही  सारी  

या मुझे उलझाया गया है

 किसी साजिश में |

 नहीं चाहती  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  

मुझे कुछ तो  बुद्धि आई होगी  

देख कर  दुनिया के छल प्रपन्च   

  उनका पीछा करता मानव देख |

 मन मेरा भी  होना चाहता

  सराबोर  आधुनिकता के  रंग में

 पर   बोझ से दबा

  है इसी उपक्रम में |

क्या चाहती हूँ सोच नहीं पाती

हूँ मैं क्या समझ से बाहर है

मैंने तुम्हें समझा है पर खुद को नहीं

अभी तक कारण समझ न पाई |

आशा 

14 टिप्‍पणियां:

  1. सच दुनियादारी को अच्छे से समझना सबके बस की बात नहीं रहती

    बहुत सुन्दर ....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद कविता जी |

      हटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचना।
    शिव त्रयोदशी की बहुत-बहुत बधाई हो।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      शिवरात्रि की बहुत बहुत बधाई |टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

      हटाएं
  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक ११-०३-२०२१) को चर्चा - ४,००२ में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद दिलबाग जी

      हटाएं
  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2064...पीपल की पत्तियाँ झड़ गईं हैं ... ) पर गुरुवार 11 मार्च 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद रवीन्दर जी |

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर रचना। शिवरात्रि की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात
    शिवरात्री की शुभ कामनाएं |टिप्पणी के लिए धन्यवाद ज्योति जी |

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर रचना ! शाश्वत प्रश्न जो हमेशा अनुत्तरित ही रहता है ! महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: