27 मार्च, 2021

आज की होली





होली के रंगों  में वह मजा नहीं

जो आता है मिलने मिलाने में

गिले शिकवे दूर कर

वर्तमान में खो जाने में |

बहुत प्यार से मिन्नत कर के

 जब कोई खिलाता है गुजिया

उसके हाथों की मिठास

 घुल जाती है उसमें |

मन करता है हाथों को उसके चूम लूं

 फिर से और खाने की फरमाइश करू

फिर सोच लेती हूँ मन को नियंत्रित रखूँ  

लालच की कोई सीमा नहीं होती |

जाने क्यूँ उसकी बनी गुजिया की मिठास

बार बार खाने का   आग्रह

खींच ले जाता है उसके पास

जब तक समाप्त न हो जाए गुजिया

और और की रट लगी रहती है |

अंतस का बच्चा जाग्रत हो जाता है

 रूठने मनाने का सिलसिला

थमने का नाम नहीं लेता

बड़ा  प्यार उमढता है उस खेल में |

प्रतीक्षा मीठी गुजिया खाने की

प्रेम से होलिका मिलन की

जब तमन्ना पूरी हो जाती है

आत्मिक   संतुष्टि से बढ़कर कुछ नहीं |

आशा 



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