यदि प्यार से पुकारो
दौड़े चले आएँगे
नफरत से कोई रिश्ता नहीं
है
ना ही लगाव हमारा |
जिसने भी आधात किया
पलटवार से होता स्वागत
बिना बात यदि रार बढ़ाई
सुकून कहीं खो जाता |
आपसी मतभेद से दुखी कर
खुद भी सुखी न रह पाएगा
हमने किसी से रार नहीं ठानी
ना किसी बात को तूल
दिया है
ना किसी के मन को दुःखी किया है |
अपने प्यार को अन्धकार में रखना
है कहाँ का न्याय?
मेरी समझ से है
परे
इन झमेलों से खुद को अलग रखा है
खुद को बचा के रखा है |
स्वयं पर है भरोसा इतना
चाहे कितना भी हो
प्रलोभन
कोई हमारे मन को
फुसला नहीं सकता |
सच्चा बन कर बहका नहीं सकता
कोई भी उपहार या प्रलोभन
मेरी मन
के लोभ को जगा नहीं पाया
अपना गुलाम मुझे बना नहीं पाया |
तेरा प्यार ही है एक
उसके आगे मुझे कुछ नहीं सूझता
उसने मन को भरमाया है
उसको सच्चे दिल से अपनाया है |
आशा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
रंगों का त्योहार,🏵
जवाब देंहटाएंलाए जीवन में बहार।🏵🏵🏵
सफलता👑 चूमें आपके द्वार
जगत में फैले कीर्ति अपार।।
स्वस्थता, प्रसन्नता,सौहार्दता लिए यह सौभाग्यशाली,पावन पर्व आपके एवं आपके परिवार में नित प्रेम का रंग फैलाए।
आपको सपरिवार रंग-बिरंगी होली की ढेरों शुभकामनाएँ।
💐💐💐
सधु चन्द्र
सुप्रभात
हटाएंआपको सपरिबार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं |
टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-3-21) को "कली केसरी पिचकारी"(चर्चा अंक-4021) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार कामिनी जी |
बहुत सुंदर रचना। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंThank you forcomment
हटाएंबहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंThanks for the
जवाब देंहटाएंComplement
सच्चे प्रेम की यही परिभाषा भी है और पराकाष्ठा भी ! बहुत सुन्दर !
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