29 मार्च, 2021

फितरत मन की


 

प्यार लगाव

कुछ भी नहीं होते

 भीतर भरी   

 फितरती  हो कर

चाहता  कुछ    

उसे यूँ बहकाते

कभी मन  गवाही

देता है  कुछ  

 हो जाता कुछ और   

 कठिन होता     

 प्रेम के  पाठ पढ़े  

पढ़ाए  जाते

 ह्मारी समझ से

बाहर होते

उसका  आनंद ही  

कुछ  और है    

  कह कर मनाना

प्रेम प्यार में

कठिन नहीं होता

  प्रेम का रंग  

 गहरा  होता जब

अपने  साथ

गैर की तलाश क्यों

करना चाहे 

 जब हो  तुम साथ   

 मेरे अपने

सदा रहते साथ

सुख दुःख में

क्यूँ  गैरों की तलाश |   

आशा  

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    रंग भरी होली की शुभकामनाएँ।

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद सर टिप्पणी क्र लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. टिप्पणी के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक सृजन ! बहुत सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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