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मन वीणा के तारों में
स्वर साधा है आत्मा
ने
शब्द चुने अंतर घट
से
रचनाओं को सवारा है |
मीठी मधुर तान जब
सुन पाता परमात्मा
खुद पर बड़ा गर्व होता
कहता है वह बहुत
भाग्यशाली |
कुछ ही लोग होते हैं ऐसे
जिन्हें सुनाई दे
जाती
वीणा की वह मधुरिम तान
वे नजदीक ईश्वर के होते
उनकी हर बात की
पहुँच
वहां तक होती सरलरेखा
सी सीधी
कोई व्यवधान न आते
मध्य में
जब उसे ठीक से सुना
जाता
प्रति उत्तर भी वे समय
पर पाते
प्रभु का आशीष पा कर
स्वयं को धन्य समझते
जब मन वीणा की चर्चा
होती
आत्मिक सुख का अनुभव करते
हर चर्चा में बढचढ कर भाग लेते
विचार विमर्श में अग्रणीय रहते
और फूले नहीं समाते |
आशा
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
13/04/2021 मंगलवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
अरे वाह ! बहुत ही सुन्दर रचना ! मन वीणा के तारों की झंकार से जो अलौकिक संगीत मुखरित होगा वह अवश्य ही कल्याणकारी होगा ! आमीन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |टिप्पणी बहुत भावपूर्ण है |
हटाएंबहुत सुन्दर आध्यात्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
वाह अति सुन्दर दर्शन से परिपूर्ण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!