देवी मां की आराधना है
सबसे बड़ा काम
अभी मेरे लिए
इसके बिना नहीं
विश्राम |
पूरे तन मन से
सेवा तेरी करू
कोई कमीं न रह जाए
यही सोचा करू |
शक्ति मुझे
देना माता
तन मन से तेरी सेवा करूं
तेरा वरद हस्त हर हाल में रहे
सदा मेरे मस्तक पर |
मुझे कुछ नहीं चाहिए
तेरी निगाहेकरम के
सिवाय
मुझ पर से कभी न हटे
दया प्रेम तेरा
तेरे रहमोंकरम पर
निर्भर हो जीवन मेरा
बीते जीवन सारा |
तेरी बांह पकड़
भवसागर के पार उतर
पाऊँ
यही है एक अरमां
मेरा
माता तू ही है सहारा
मेरा |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंजय माँ जगदम्बे की ! बड़ा पार करो माँ !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने कीं सूचना के लिए आभार सर |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंभक्ति से सरोबोर कविता...
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