मन अशांत
खोज रहा सुकून
चंद पलों का
होने लगा ऐसा क्यूँ ?
है अनजान
कारणों की खोज से
क्या विकल्प
खोजा है अब तक
मन बेचैन
जब चाहे उचते
स्थिर न रहे
बदले की भावना
सर उठाए
मन से
नियंत्रण
उठता जाए
यह कैसा सोच
है
दुविधा में है
रुकने का नाम नहीं
जितना सोचो
तकरार बनी रहती
संतप्त मन
अहम् और मन की
हल खोजना
है भी नहीं आसान
जितना दिखाई दे
यही सच है
कोई होता विकल्प |
आशा
मनोभावों का सुन्दर चित्रण।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए
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अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comments
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comments
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर लेखन
जवाब देंहटाएंमेरी रचनायें पढ़ें, अच्छी लगे तो लाइक और शेयर करें- तरक्की
सुन्दर रचना ! अशांत मन का उपाय ढूँढना सहज नहीं होता !
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