02 अप्रैल, 2021

मन अशांत

 


मन अशांत

 खोज रहा सुकून

चंद पलों का

 होने लगा ऐसा क्यूँ ?

है  अनजान  

कारणों की खोज से

क्या विकल्प

खोजा है अब तक

मन बेचैन

जब चाहे उचते

स्थिर न रहे  

बदले की भावना

सर उठाए

मन  से  नियंत्रण

उठता जाए

 यह कैसा सोच  है

दुविधा में है 

 रुकने  का नाम नहीं

जितना सोचो

तकरार बनी रहती

संतप्त  मन

अहम् और मन की

 हल खोजना

है  भी नहीं आसान 

जितना दिखाई दे

यही सच  है

कोई  होता विकल्प |

आशा 



8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...सुन्दर लेखन

    मेरी रचनायें पढ़ें, अच्छी लगे तो लाइक और शेयर करें- तरक्की

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  2. सुन्दर रचना ! अशांत मन का उपाय ढूँढना सहज नहीं होता !

    जवाब देंहटाएं

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