22 अप्रैल, 2021

नेता आज के

 

गलियारे सत्ता के हैं

काजल की कोठारी जेसे

जिसने भी कदम रखा उसमें

रपटता चला गया |

उसके काले रंग  में ऐसा रंगा

रगड़ कर धोने में ही

सारी अकल छट गई

समय की सुई वहीं अटकी रह गई |

ना नए चहरे ना ही कुछ नया सोच  

वही पुराने अवसरवादी नेता 

बेपैदी के लोटे जेसे

 कभी इधर कभी उधर होते |

लुढ़कते एक से दूसरी पार्टी में

जाना नहीं जा सकता   

है कैसी मानसिकता उनकी  

क्या उसूल जादू से बदल जाते हैं |

जब  नवीन पार्टी में आए  

कुछ नियम अपनाने का वादा किया

कसमें खाईं वादे  आत्मसात करने की

 हवा का रुख बदलते ही

गिरगिट सा रंग बदला |

दिखावे के लिए पूर्ण रूप से बदले

नया चेहरा उभार कर आया

 जब मुह पर मुखौटा लगाया

एक नए परिवर्तित रूप रंग में |

यही नेता अब पहचाने नहीं जाते

नए रंग रूप नए  परिवेश में

रंग ढंग सब बदले उनके इस नए रूप में

बातों में भी है बड़ा  परिवर्तन |

यही है आज के  नेता की पहिचान

 अपने लिए जीते हैं वर्तमान में

अपने हित को ही देखने की आदत है

दूसरों के हित  की नहीं सोच पाते |

आशा

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद टिप्पणी के लिए शास्त्री जी |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  3. सुप्रभात
    मेरी रचना की सूचना के लिए आभार मीना जी |

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  4. 👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌

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  5. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद टिप्पणी क्र लिएअभिलाष जी |

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  6. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |

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  7. खूब पोल खोली है आज के नेताओं की जिनका न कोई धर्म है न ईमान और न ही है जनता के दिलों में कोई सम्मान और पहचान !

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  8. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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