बाधाएं और जीवन
चलते आगे पीछे
इस तरह पास रहते
मानो हैं सहोदर कभी न बिछुड़ेगे |
जब जीवन में अग्रसर
होने की
खुशी आनी होती है
बाधाएं पहले से ही खडी होतीं
व्यवधान डालने को |
कोई कार्य सम्पन्न नहीं
होता
बिना बाधाएं पार किये
हर बाधा से दो दो हाथकरना पड़ते
एक जुझारू व्यक्ति की तरह |
जिसने ये बातें जान लीं
और दिल से स्वीकारा उन्हें
वही सफल हुआ अपने जीवन
में
हारने से भय कैसा बाधाओं से |
जिसने समझ लिया उन को
सामंजस्य स्थापित किया उनसे
वही सफल हो पाया लड़ने
में उनसे |
है ऐसा मन्त्र
बाधाओं से बचने का
जिसने सीख लिया और
अपनाया
सफलता कदम चूमती
उसके
जब भी जीत हांसिल
होती
मन बल्लियों उछलता उसका |
आशा |
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२४-०४-२०२१) को 'मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे'(चर्चा अंक- ४०४६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सुप्रभात
हटाएंमेरा रचना की सूचना के लिए आभार अनीता जी |
"बाधाएं और जीवन
जवाब देंहटाएंमानो हैं सहोदर कभी न बिछुड़ेगे"
जी बिल्कुल। यह तो जीवन के हर क्षण में अनुभव होता है। जब इसे हम स्वीकारना सीख लेते है तो जीवन की यात्रा थोड़ी आसान हो जाती है।
चलों हम बाधाओं से दो-दो हाथ कर लें
सार्थक जीवन का कुछ प्रकार जान लें
सुप्रभात
हटाएंप्रकाश साह जी बहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
प्रेरणा देती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका अदरणीय
जवाब देंहटाएंसत्य है ! जिसने बाधाओं पर विजय पा ली, असली विजय उसीके हिस्से में आती है ! सार्थक संदेशपरक रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |