23 अप्रैल, 2021

बाधाएं और जीवन


बाधाएं और जीवन

 चलते आगे पीछे

 इस तरह पास  रहते

 मानो हैं  सहोदर कभी न बिछुड़ेगे |

जब जीवन में अग्रसर होने की

 खुशी आनी होती है

बाधाएं पहले से ही  खडी होतीं

व्यवधान डालने को |

कोई कार्य सम्पन्न नहीं होता

 बिना बाधाएं पार किये

 हर बाधा से दो दो हाथकरना पड़ते

एक जुझारू व्यक्ति  की तरह |

जिसने ये  बातें जान लीं

और दिल से स्वीकारा उन्हें  

वही सफल हुआ  अपने  जीवन में

हारने से  भय कैसा  बाधाओं से |

जिसने समझ  लिया उन को

 सामंजस्य स्थापित किया उनसे

वही सफल हो पाया लड़ने में उनसे |

 है ऐसा मन्त्र बाधाओं से बचने का

जिसने सीख लिया और अपनाया 

सफलता कदम चूमती उसके

जब भी जीत हांसिल होती

 मन बल्लियों उछलता उसका  |

आशा | 

8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२४-०४-२०२१) को 'मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे'(चर्चा अंक- ४०४६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. सुप्रभात
      मेरा रचना की सूचना के लिए आभार अनीता जी |

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  2. "बाधाएं और जीवन
    मानो हैं सहोदर कभी न बिछुड़ेगे"

    जी बिल्कुल। यह तो जीवन के हर क्षण में अनुभव होता है। जब इसे हम स्वीकारना सीख लेते है तो जीवन की यात्रा थोड़ी आसान हो जाती है।

    चलों हम बाधाओं से दो-दो हाथ कर लें
    सार्थक जीवन का कुछ प्रकार जान लें

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      प्रकाश साह जी बहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

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  3. प्रेरणा देती सुंदर रचना

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  4. सत्य है ! जिसने बाधाओं पर विजय पा ली, असली विजय उसीके हिस्से में आती है ! सार्थक संदेशपरक रचना !

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  5. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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