06 अप्रैल, 2021

अधिकार कर्तव्य


                                                    छिड़ी बहस अधिकारों में कर्तव्यों में 

प्राथमिकता  दौनों में से किसे 

पर सजग अपने  अधिकारों के प्रति 

 मन सचेत है अधिकार  जानता  

दूरी है  कर्तव्यों से ऐसा क्यूँ  ?

कभी विचार  नहीं किया है  

  ना  हीं  जानना चाहा    

 प्राथमिकता  दी  निजी स्वार्थ को 

  चाहते केवल  अधिकार हैं 

कर्तव्य जब भी करना हो 

पीछे पाँव हट जाते 

 अधिकारों  की  पहले मांग 

है कैसा  न्याय   ?

दोनो जरूरी होते हैं 

कर्तव्य करो फिर अधिकार चाहो 

 आत्म मंथन जब कर  पाएंगे 

तभी जान पएंगे

 न्याय संगत   क्या है |

आशा 

5 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |

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  2. जब कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे अधिकार स्वयं ही मिल जायेंगे ! लेकिन लोग सिर्फ पाना चाहते हैं बिना कुछ किये ही ! सुन्दर प्रस्तुति !

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