दिल नहीं चाहता
गैरों से संबाद करू
जब भी ऐसे अवसर आते
वे दुःख ही देते
कभी सही सलाह नहीं देते |
अपने तो अपने होते
मतलबी नहीं
जो मतलब की बातें करते
उन्हें अपना समझने की भूल
अक्सर हो जाती
बचने के
लिए
इससे
अपनी कोई बात
जब वे बाँट नहीं सकते
सोचो हैं कितने गहरे पानी में
उनकी पहचान तभी
हो पाएगी
तभी असली राज
खुल पाएगा
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आशा
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सार्थक और भावप्रवण रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद सर टिप्पणी के लिए |
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंसही है ! उथले रिश्ते किसी काम के न होते !
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