01 जुलाई, 2021

स्वप्न क्या कहे

स्वप्नों में श्रंगार किया किसी ने  

चारो  ओर प्रसन्नता  छाई

न जाने कौन से आयोजन का   

शुभारम्भ हुआ  है  आज के आलम में |

पर स्वप्न अधूरा ही  रह गया

जब नींद से चौंक कर जागी

यह तक  कल्पना न कर पाई

यह स्वप्न था या यथार्थ |

नींद कैसे खुली याद नहीं

 मदहोशी का आलम

सर चढ़ कर बोला

मैं गाती रही गुनगुनाती रही |

बड़ी  देर तक उसी स्वप्न में खोई रही

स्वप्न यदि पूरा होता

 उसका अंत क्या होता ?

 यही सोचती रही

जब किसी निष्कर्ष तक

पहुँचती सोचती

 क्या यही सही विकल्प होता |

यदि स्वप्न पूरा हो जाता

अटकलें न लगानी पड़तीं

कभी बचपने   जैसा लगता

कभी कोई संकेत

छिपा होता स्वप्न में |

है यह दिवा स्वप्न

 या सपना रात का

 या केवल कोरी कल्पना

बड़ी गंभीरता से विचार किया

पर निष्कर्ष न निकल पाया |

 अधूरे स्वप्न ने मुझे उलझाया

अनगिनत विचार मन में आए  

 यह कोई संकेत तो नहीं किसी

आने वाली भली बुरी घटना का |

आने वाली भली बुरी धटना का  |

3 टिप्‍पणियां:

  1. सपने ही सपने कब हुए अपने भोर हुई और टूट गए ! जब तक नींद में खोये रहो स्वप्न तभी तक आनंद देते हैं ! आँख खुलते ही संसार का यथार्थ स्वप्न से बिलकुल अलग होता है १

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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