06 जुलाई, 2021

प्यार का दिखावा



 


कौन जाने कब तक होगा

इस प्यार का समापन

बड़ा  अजीब सा  लगता है

 दिखावा प्यार के इजहार का |

कुछ नया करने का सोच मन के

सर चढ़ कर बोलता है

पर कोई नहीं जानता

इसका अंजाम क्या होगा  |

दिन रात जपी जाए

माला प्यार की उसकी

कुछ निष्कर्ष न निकला तब भी  

पहुँच न सके उस तक कभी |

बहुत दुःख होता है

जब प्यार नजदीक आते ही

हाथों से फिसल जाता है

मन हाथ मलते ही रह जाता है |

प्रश्न है कि  प्यार का यह  दिखाबा

कितना सफल होगा जिन्दगी में

 कैसे छा पाएगा जिन्दगी जरासी में

 प्यार  विशाल व्योम सा मेरे नन्हें मन में |

आशा

 

 

 

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-07-2021को चर्चा – 4,119 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  3. सुप्रभात
    धन्यवाद मनीषा जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. "पर कोई नहीं जानता
    इसका अंजाम क्या होगा|" ...इसी अंजाने सफ़र का नाम ही तो ज़िन्दगी है .. शायद ...

    "हाथों से फिसल जाता है
    मन हाथ मलते ही रह जाता है|" .. सच .. किसी दिन तो ये तन-मन सब फिसल जाते हैं और मलने वाला हाथ भी राख हो चुका होता है .. मन स्वयं व्योम हो जाता है .. बस यूँ ही ...

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  5. वाह वाह ! बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

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  6. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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