कौन जाने कब तक होगा
इस प्यार का समापन
बड़ा अजीब सा लगता है
दिखावा प्यार के इजहार का |
कुछ नया करने का सोच मन के
सर चढ़ कर बोलता है
पर कोई नहीं जानता
इसका अंजाम क्या होगा |
दिन रात जपी जाए
माला प्यार की उसकी
कुछ निष्कर्ष न निकला तब भी
पहुँच न सके उस तक कभी |
बहुत दुःख होता है
जब प्यार नजदीक आते ही
हाथों से फिसल जाता है
मन हाथ मलते ही रह जाता है |
प्रश्न है कि प्यार का यह दिखाबा
कितना सफल होगा जिन्दगी में
कैसे छा पाएगा जिन्दगी जरासी में
प्यार विशाल व्योम सा मेरे नन्हें मन में |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-07-2021को चर्चा – 4,119 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |
Very beautiful✨✨✨✨✨✨
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनीषा जी टिप्पणी के लिए |
"पर कोई नहीं जानता
जवाब देंहटाएंइसका अंजाम क्या होगा|" ...इसी अंजाने सफ़र का नाम ही तो ज़िन्दगी है .. शायद ...
"हाथों से फिसल जाता है
मन हाथ मलते ही रह जाता है|" .. सच .. किसी दिन तो ये तन-मन सब फिसल जाते हैं और मलने वाला हाथ भी राख हो चुका होता है .. मन स्वयं व्योम हो जाता है .. बस यूँ ही ...
Thanks for the comment
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ऊषा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंवाह वाह ! बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |