तेरे बिना मन उसका भागे
भीगे चंचल स्वभाव
नन्हीं बारिश की बूंदों में |
है यह कल्पना मात्र
या किसी का ऐसा झुकाव
पैदा हुआ जो आकर्षण से
या पहली दृष्टि के प्यार से |
एक ही विशेषता रही यहाँ
कोई झाँक न सका उसे चिलमन से
एक तरफा लगाव रहा अवगुंठन में
बचा रहा दुनिया की काली नजरों से |
वह खुश हुआ यह जान कर
किसी ने ध्यान न दिया ऐसे लगाव पर
बात परदे में ही छुपी रह गई
दुनिया में रुसवाई न हुई |
आशा
Thanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंपर्दे में रहने दो पर्दा न उठाओ ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंThanks for the comments
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