17 अगस्त, 2021

भूल मेरी


 


दिन में सपने सजाए

बड़े अरमान  से

कल्पना में भी  उड़ी व्योम में 

कोई कमी न रही |

ऐसा मैंने सोचा था

खुद को अधिक ही

 सोच लिया था 

यहाँ मैं गलत थी |

यह तो  स्पष्ट हुआ

स्वयं के  आकलन से

 भूल इतनी बड़ी  

कैसे हो गई  |

सोचने को विवश हुई

मैंने सही आकलन न किया

खुद को समझा अधिक

सही हल न निकाला |

 सोच कर जब देखा

खुद की भूल समझआई

 उसे कैसे सुधारूं

 आज तक जान नहीं पाई |

 बीता कल लौट नहीं पाता

  मैंने जान लिया है

अब  खुद की भूल को

सुधार लिया है |

आशा

 

 

4 टिप्‍पणियां:

Your reply here: