19 अगस्त, 2021

अनकहा सच


 

मुंह पर शब्द आकर रुके

क्या कारण रहा

किसी से छुपा नहीं है

पर  बहुत स्पष्ट भी  नहीं |

मन के भाव मुख से निकले

यह भी  सत्य नहीं

यह कैसे जानकारी मिली

कहाँ तक पहुंची सोच की इन्तहा हुई |

मुझे सच में  गौरव हुआ प्राप्त   

या पीछे से धक्का दिया गया

एक प्रमाण पत्र के लिए

जो था यथेष्ट मेरे लिये    |

प्रसन्न  मेरा  मन था

 यही  क्या कम था  

पर एक अनकहा सच

 मेरा पीछा कर रहा था |

मैं  ऐसा व्यक्तित्व थी वहां

जिससे सब तुलना करते थे

 वैर भाव मन में  रखते थे  

यह बाद में जाना |

 अन्य जगह जब पहुंची  

क्यूँ हुआ था ऐसा तब जाना

जब किसी के मुंह से निकला  

बड़े लोग बड़ी बात |

इनसे तुलना कैसी कब तक 

 हम भी कम नहीं किसी से

पर किसी के बल नहीं

सच में खुद्दारी हम में है इतनी जो इसमें भी  न थी |

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