कामयाबी का स्थान कहाँ
जहां अपने पैर पसारे
उसे ऐसे ही ठेल दिया जाता है |
मन पर पाषाण रख
कितनी कठिनाई से
उनका बोझ सहन
किया जाता है
कोई मन से पूंछे |
ख्याल तो ख्याल ही हैं
उनसे कैसी दूरी
जीने का आनंद नहीं रहता
बिना ख्वावों ख्यालों के |
सच कहा जाए
तभी जिन्दगी सवरती हैं
जब कुछ सपने हों
साकार करने को |
केवल ख्यालों से कोई
हल नहीं निकलता
जज्बा भी होना चाहिए सफलता का
किला फतह करने को |
आशा
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जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
अब अच्छी लग रही है ! सुन्दर सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ंं
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