कब कहना
कितना है कहना
सार्थक यहाँ
मनभावन
दृश्य देखते हुए
नेत्र न थके
कहाँ हो राम
कहीं नहीं विश्राम
इस जग में
तुम्हारे बिना
सूनी लगी दुनिया
मैं क्या करती
बंधन बांधा
है कच्चे धागों का
फिर भी पक्का
ना जाना वहां
जहां प्यार नहीं हो
ना हो अपना
आशा
सुंदर सार्थक,सकारात्मक हाइकु । बहुत शुभकामनाएं आदरणीय दीदी 💐💐
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जिज्ञासा जी टिप्पणी के लिए |
सुन्दर हाइकु !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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