दिखते हो उदास किस लिए
राखी के शुभ अवसर पर
क्या राखी नहीं आई
बहिन की
या ड्यूटी पर हो तैनात
इस लिए |
घर परिवार सब कुछ
छोड़ा
यदि माया मोह में फंसे रहे
कैसे न्याय कर पाओगे
देश की सुरक्षा के प्रति |
हो धीर वीर कर्तव्य निष्ठ
हो सच्चे रखवाले देश के
गर्व से सर उन्नत हुआ है
तुम्हारा शौर्य देख |
रणभूमि में पाई
सफलता
बहिन हुई निहाल
प्रशंसा करते न थकती
शौर्य का पदक देख |
है भाई बहादुर वीर
भयभीत नहीं किसी रण
से
सीमा पर तैनात
मुस्तैदी से
अगली पंक्ति में मोर्चे पर|
सूर्य की प्रथम किरण के आते ही
सैनिक का हो जाता जीवन व्यस्त
रात्रि तक विश्राम नहीं
नियमित जीवन जी रहा ईश्वर को नमन कर |
रक्षा बंधन का क्या है
राखी इस बार न बंधी तो क्या
बाँध रक्षा सूत्र त्यौहार
अगले वर्ष
मना लेंगे सोचा बहिन ने |
पहले कर्तव्य फिर कुछ और
यही विचार आता है मन में
फिर भी अंतस के किसी कौने में रहता
क्या आज भाई न आएगा |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभार
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए
\
देश के वीर जवानों के सारे वार त्यौहार देश की सुरक्षा पर न्यौछावर रहते हैं ! ऐसे ही नहीं वो असाधारण, अजेय, अपराजेय कहलाते हैं !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-08-2021को चर्चा – 4,168 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
Thanks for the information of the post
जवाब देंहटाएंहमारे वीर बांकुरों को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं प्रभु इन्हे सदा सुरक्षित रखें ये भी व्रत त्योहार मनाते चलें , सुंदर रचना जय हिंद
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
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