24 अगस्त, 2021

देखी समानता दौनों में


 जीवन है फूलों की डाली
मधुर सुगंध बिखेरती 

लहराती बल खाती      

मंद वायु  के झोंकों  संग|

 धूप  से फूल कुम्हलाते

झरने लगते  होते ही वय पूर्ण

जितने समय भी झूलते 

 आनन्द पूरा उठाते |  

उस डाली पर फूलों के  जीवन का 

उनके  योवन का

फलते फूलते प्रसन्न रहते

अपनी संतति देख कर |

 जीवन है भेट वही   

जो मिली मनुज को सृष्टि से 

हैं  संतुष्ट दोनो अपने जीवन से 

देखे सभी मौसम पूरी शिद्दत से

दौनों फूले फले जिन्दगी को न भूले 

 देखी समानता दौनों में  

 डाली पर फूल और मानव जीवन में |

आशा 
 

 

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच   "विज्ञापन में नारी?"  (चर्चा अंक 4167)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 25 अगस्त 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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  3. जीवन गुलाब के फूलों सी... गुलाब कहते कांटों का स्मरण स्वतः होने लगता है
    सादर
    उम्दा रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    विभा जी टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सार्थक समानता दोनों में ! बढ़िया रचना !

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद सदा जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं

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