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अतीत के गलियारे में
जब भी झांका
खुद को उदास पाया
क्या इतना खराब था तब जीवन |
जीवन तो उदास नहीं था
जब बुद्धि से सोचा
पर मन में संतुष्टि का
अभाव रहा होगा सोचा |
ज़रा सी खुशी होती गहरी
जब दिल का सोच संकुचित न हो
खुले दिल से अपनाए सब को
शायद यही कमी रही मुझमें |
अब क्या सुधार होगा
कभी सोचा नहीं जब भी सोचा
नकारात्मक ही सोचा
कुछ सुधार न हुआ था |
मुझे है आवश्यकता
खुशी की तलाश की
मुझसे जो अपनी बातें बाँटें
सही सलाह दें पाए हर समय |
आ
4You, Smita Shrivastava, Phoolan Datta and 1 other
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंहम आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं हर समय ! आप आजमाइए तो सही !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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