हो सीमा के निगहवान
देश की रक्षा करते
शत्रुओं से पूरी क्षमता से
मुकाबला करते |
है धन्य वह जन्मदात्री जिसने
तुम से वीर को जन्म दिया
ऐसे कर्तव्य निष्ट को
पाला पोसा बड़ा किया |
संस्कार कूट कूट कर भरे
बचपन से ही निर्भय रहे
देश प्रेम में ऐसे डूबे स्वप्न में भी
दिन रात देश की रक्षा करते रहे |
प्रथम कर्तव्य देश रक्षा को जाना
देश से अधिक किसी को न माना
देश के प्रति निष्ठा की
तुमसी कोई मिसाल नहीं
सभी कार्य गोण हुए देश प्रेम के आगे |
नमन तुम्हें हे वीर सपूत देश के
ताउम्र याद रहेगा बलिदान तुम्हारा
देश भक्ति की मिसाल हो तुम
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-09-2021 ) को 'बेटी से आबाद हैं, सबके घर-परिवार' (चर्चा अंक 4200) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
Thanks for the information of my post
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंदेश के वीर जवान ! तुम्हें सलाम !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna
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