है
मेरी
बिटिया
व्याही गई
सब से दूर
पराए देश में
बहुत याद आती
जब आ नहीं पाती
विछोह सह न पाती
मन अधीर कर जाती |
हो
तुम
वेदना
हो मेरी ही
कभी गोण हो
बेचैन कभी हो
क्यों मुझे सताती हो
यह मुझ से लगाव हो
तुम से लगाव हो कैसे |
है
वही
सुबह
और शाम
व्यस्तता लिए
नहीं है आराम
सिर्फ रात्री विश्राम
है तब भी चैन कहाँ
सो नहीं पाती स्वप्न बिना |
आशा
मन
बढ़िया !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna
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