11 अक्टूबर, 2021

अनुपूरक एक दूसरे के

 


 कभी प्यार से  दुलार से

कभी धमका  चमका कर

हर बार डराया है समाज ने

बिना किसी उद्देश्य के |

जब चाहा कटघरे में खड़ा किया

 कारण जानने का भी हक़ न दिया उसे  

रखा सदा वंचित सामाजिकता के एहसास से

यह कैसा न्याय किया उससे |

कोई ऐसा अपराध न था उसका  

जिसके लिए प्रताड़ित किया गया उसे

क्षमा दान में भी की कंजूसी

 क्या थी आवश्यकता उसके  निष्कासन की |

आज तक समझ में न आई यह  गुत्थी  

आवश्यकता समाज की उसके लिए थी  

अथवा  समाज को  जरूरत उसकी 

या दोनों हैं अनुपूरक एक दूसरे के |

आशा 

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