18 अक्टूबर, 2021

भमर क्यों फूलों पर मंडराते


                       भ्रमर तुम   फूलों  पर क्यों मंडराते

उनके मोह में बंध कर रह जाते

उन पुष्पों में ऐसे बंधते

कभी  बंधन मुक्त न हो पाते |

तुमसे तितलियाँ हैं बुद्धिमान बहुत

पुष्पों से मधु रस का आनंद लेतीं

और दूसरे के पास उड़ जातीं

होती स्वतंत्र  किसी बंधन  में न बंधती |

इतनी मोहक रंगबिरंगी तितलियाँ जब उड़तीं 

सुन्दर छवि हो जाती वहां की

एक फूल से दूसरे पर जाने से

मकरन्ध की सुगंध बगिया में उड़ती |

भवरे तुम काले हो  सुन्दर नहीं 

तितलियों से क्या तुलना करते 

तुम्हारा गुंजन भी नहीं  मधुर  

जब फँसते माली के चंगुल में तब पछताते | 


आशा

14 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-10-21) को "/"तुम पंखुरिया फैलाओ तो(चर्चा अंक 4222) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार कामिनी जी मेरी रचना को चर्चामंच में आज के अंक में
      शामिल करने के लिए |

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  3. भंवरे और तितलियों के साथ फूलों से मधु चुराने का सुंदर रूपक!--ब्रजेंद्रनाथ

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  4. वाह ! कितनी पैनी दृष्टि है आपकी ! सुन्दर रचना !

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  5. सुप्रभात
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |

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