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हाइकु मेरे
पूर्ण हैं या अपूर्ण
नहीं जानती
बिल्ली आई है
चूहे तेरी न खैर
कजा आई है
प्यार है मेरा
बिकाऊ नहीं यह
है
अनमोल
जीत व् हार
दो पहलू सिक्के के
एक हमारा
जीना मरना
मनुष्यों के लिए ही
है आवश्यक
प्यार है मेरा
बिकाऊ नहीं यह
है अनमोल
एहसास है
अपने अस्तित्व का
भूला नहीं हूं
जलधि जल
मीठा न होता कभी
सदा से खारा
प्यासा रहा हूँ
सागर तट पर
मुहँ न धुला
अधूरी प्यास
बटोही तेरी रही
सागर तीर
मीठी है वाणी
बोलों की है छुआन
कटूता नहीं
आशा
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सुन्दर हाइकू !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna Vaid
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