उलझा मन
प्यार पे डाला डाका
मैं हार गई
है मन मस्त
कोई चिंता नहीं है
ना फिक्र कोई
है ख्याल नेक
पर विचार भिन्न
बहस न हो
हुई दीवानी
यह तक न जानी
किसे प्यार दे
कौन अपना
किसे कहे पराया
अपना नहीं
गर्दिश में हैं
सितारे गर्क तेरे
शक हुआ है
आशा
सुन्दर
सुप्रभात धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
बढ़िया हाइकु ! सुन्दर रचना !
Thanks for the comment sadhna
Your reply here:
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
बढ़िया हाइकु ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna
जवाब देंहटाएं