हो गुलाब का फूल
या हो पुष्प कमल का
उन तक जाने में
पहुँच मार्ग में
बड़े व्यवधान आते हैं |
दौनों तक पहुँच पाने में
हम उलझ ही जाते हैं
हैं बहुत महत्व के दौनों
उस तक पहुँचना
कष्टकर होता |
दलदल में खिलते
पुष्प कमल के
फिर भी अलग रखते
खुद को कीचड़ से |
फूल गुलाब का
भी कम नहीं किसी से
अपने को बचा कर रखता
घिरा रहता कंटकों से |
वे बचा कर रखते गुलाब को
रक्षक बन कर उसके
अनचाही कोशिश किसी ने यदि की
देते दंश बड़ा चुभन से |
जब माला या गुलदस्ता
गुलाब का ही बनाना होता
बहुत कष्ट होता
उनको चुनने में |
पर महत्व जान कर
दौनों पुष्पों का
भूल जाते उन
कठिनाइयों को |
कितनी भी दिक्कत आए
उन तक पहुँच पाने में
पूरे प्रयत्न करते
उन तक पहुँच ही जाते |
आशा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 24 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
सुप्रभात
हटाएंआभार पम्मी जी पांच लिंकों का आनंद में मेरी रचना को स्थान देने के लिए |
बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
सुंदर सारगर्भित रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात कही आपने!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सृजन
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद मनीषा जी |
कमल और गुलाब की महिमा दर्शाती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएं