किसी भी बात पर
ना नुकुर
शोभा न देती कभी
समय देखो
दीखते उलझते
विचारों में ही
तुम हो मेरे
हम कदम नहीं
किससे कहूं
गैर तो नहीं अब
फिर भी दूरी
मुझे अपने लगे
प्यारे लगते
कुछ तो हो जरूर
मेरे न हुए
कब तक बचोगे
हुआ इससे
क्या और किसलिए
हमदम हो
सपनों में आकर
कभी देखना
कौन हमसे ज्यादा
मन को प्यारा होता
क्या है उसमें
लाडला किस लिए
ख्याल तुम्हारे
सबसे अलग हैं
प्रिय हैं मुझे
तब यह दूरी क्यों
किसके लिए |
आशा
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जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी कस लिए |
हटाएंजी, बहुत बढ़िया...👏👏👏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात धन्यवाद प्रकाश जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 25 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
आमंत्रण में देरी के लिए क्षमा।
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए धन्यवाद |
वाह ! कोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |