हम दो प्राणी हैं जुदा जुदा
कुछ भी समान नहीं हम में
एक जाता उत्तर को
दूसरा विपरीत दिशा को चल देता |
यह कैसी जोडी बनाई प्रभु तुमने
कुछ तो समानता दी होती
कभी तो हाथ मिलाते प्यार से
कैसे जीवन गुजरेगा हमारा |
एक साथ रहने के लिए
विचारों की एकता होती
या एक सी पसंद हो जाती
हर समय खीचतान न मची रहती |
कभी एकमत हो न पाते
यदि मन से कभी इच्छा होती
विरोध कैसे न करते
बहस हो नहीं पाती
यदि सामान विचार धारा होती
फिर दोष किस पर मढ़ते |
आशा
विपरीत विचारधारा वाले जब पूरे सामंजस्य के साथ आगे बढ़ते हैं तब ही चमत्कार होते हैं ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |